श्रीकृष्ण विष्णु के 8वें अवतार माने गए हैं। कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता है। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्जित महान पुरुष कहे जाते हैं उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था । एक सर्वश्रेष्ठ पुरुष, युगपुरुष या युगावतार का स्थान भी श्री कृष्ण को मिला। आप सब श्री कृष्ण की लीलाओं के बारे में भी जानते होंगे, आज मैं आपको इस पाड्कैस्ट में बालक कृष्ण और माता यशोदा के वात्सल्य का क़िस्सा सुनाने जा रही हूँ, जिसे सुन मुझे यक़ीन है कि आप भाव बिभोर हो जाएँगे—— आयिए क़िस्सा सुनते हैं, अक्रूरजी कृष्ण और बलराम को लेने गोकुल पहुंचे तो कोई भी गोकुलवासी नहीं चाहता था कि वे गोकुल छोड़ कर जाएँ परंतु कृष्ण जान गए थे कि अब कंस के वध का समय आ गया है यह भावपूर्ण प्रसंग मां - पुत्र के वात्सल्य प्रेम को दर्शाता है ।प्रसंग पढ़ने में यदि आपकी आंखें भीग जाती हैं तो निश्चित आप इस प्रसंग के अंतर्भाव को समझ गए अन्यथा .... तो "प्रेम कौन करेगा ..."
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